पसंचालक कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग हरदा श्री एम.पी.एस. चन्द्रावत ने बताया कि क्षेत्र मेंडायग्नोस्टिक टीम का भ्रमण किया जा रहा है। चने के खेतों का अवलोकन करने पर पाया गया है कि चने के खेत में शुरूआती उमाला अर्थात (कालर राट) फफूंद की समस्या देखी जा रही है।
यह फफूंद पौधे की जड़ों पर आक्रमण करके उन्हें गला देती है, जिससे पौधे सूखने लगते है। कालर राट के नियंत्रण के लिये, टेबूकोनाजोल $ ट्राइफ्लोक्सिस्ट्रोबीन 100 ग्राम प्रति एकड़ अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबीन इपोक्सिकोनाजोल 300 मिली प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
चने की फसल पर सेमीलुपर एवं हेलीकोवरपा का प्रकोप देखा जा रहा है। वर्तमान में विगत दो-तीन दिनों से बादल युक्त मौसम बना हुआ है, साथ ही तापक्रम के कीटों के प्रगुणन के लिये अनुकूल बना हुआ है।
बादल युक्त मौसम में कीट अपना जीवन चक्र निर्धारित समय से 5 से 10 दिन पूर्व ही पूर्ण कर लेते है। इस प्रकार इनकी संख्या में लगातार वृद्धि होने लगती है।
कीटों के प्रबंधन के लिये पक्षी आश्रय जिसकों की बर्ड पर्चेस की कहते है। बर्ड पर्चेस ‘टी’ आकार की खूंठिया होती है।
जिनकी ऊंचाई 1 से 1.5 फीट की होती है, को 25 से 30 की संख्या में प्रति एकड़ खेत में रोपित करना चाहिए। बर्ड पर्चेस पर पक्षी आकर विश्राम करेगें तथा कीटनों के लावा का भक्षण करेंगे।
रायानिक नियंत्रण के लिये क्वीनोलफास 25 ईसी को 500 मिली प्रति एकड़ अथवा थायोमेथोक्जाम 25 ईजी को 40 ग्राम प्रति एकड़ की दर 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
छिड़काव करते समय प्रत्येक टंकी में 1 चम्मच वांशिक पॉउडर मिला देना चाहिए। जो कि कीटनाशक के लिये स्टीकी एजेन्ट का कार्य करेगा।
उन्होने कृषको से अनुरोध किया है कि गेंहू फसल में द्वितीय टॉप ड्रेसिंग पर नैनो यूरिया का छिड़काव करें। नैनों यूरिया, जिसमें पोषक तत्व पार्टिकल फॉर्म में होते हैं। एक कण 32 नैनों मीटर का होता है।
1 नैनो मीटर 1 मीटर का 1 अरबवां भाग होता है, और नैनो यूरिया के छिड़काव से दस हजार गुणा अधिक सतह पर नैनो पार्टिकल फैल जाते हैं।