आलू की उन्नत खेती कैसे करें? ज्यादा मुनाफा कमाए।

आलू भारत मे काफी ज्यादा बोई जाने वाली फसल है, आलू की उन्नत खेती और अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्म के बीज और रोग मुक्त बीजों का चयन करना बहुत ही आवश्यक है। साथ ही आलू की अच्छी फसल के लिए उर्वरकों का उपयोग, सिंचाई की व्यवस्था रोगों का समय पर नियंत्रण और किन दवाओं का प्रयोग करें इन सभी चीजों का एक अच्छी उपज पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।

बीज का चुनाव कैसे करे?

आलू की उन्नत खेती के लिए अच्छे किस्म के बीज का चुनाव करना बहुत ही जरूरी है। बीज का चुनाव करते समय हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे कि बीज रोग मुक्त हो, बीज का आकार न तो ज्यादा बड़ा हो और ना ही छोटा हो।

यदि आप ज्यादा बड़े आलू के बीज का चुनाव करते हैं, तो इससे बीज तो बहुत ही उच्च गुणवत्ता का होगा लेकिन वह बहुत ज्यादा महंगा भी होगा जो कि आप के मुनाफे को कम कर देगा और यदि आप बहुत छोटे बीच का चुनाव करते हैं, तो उसमें रोग लगने के ज्यादा असार हो सकते हैं।

इसलिए आप 3 सेंटीमीटर से 3.5 सेंटीमीटर आकार और 30 से 40 ग्राम भार के आलू के बीज का ही चुनाव करें।

बुवाई का सही समय कब है?

आलू की उन्नत खेती के लिए उसके बुवाई का समय बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि पाला पड़ना बहुत ही आम बात है, और उससे फसल को बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है।

आलू को बढ़ने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए नहीं तो फल की बढ़त रुक जाती है।

आलू के अच्छी फसल के लिए तापमान का सही होना बहुत जरूरी है, यदि तापमान सही नहीं होगा तो बीजों के अंकुरण ठीक से नहीं होंगे और उनके सड़ने के बहुत ज्यादा आसार हो सकते हैं।

आलू की बोनी के लिए अक्टूबर सबसे अच्छा है और अलग-अलग क्षेत्र की जलवायु के हिसाब से यह समय आगे पीछे भी हो सकता है यदि आप अक्टूबर माह में आलू की बोनी करते हैं तो आपका आलू दिसंबर माह तक पूर्ण रूप से तैयार हो जाता है।

बीज की मात्रा कितनी होनी चाहिए?

आलू की फसल में एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति की दूरी कम से कम 50 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी कम से कम 20 से 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए। एक हेक्टेयर भूमि में कम से कम बीज की खपत 25 से 30 क्विंटल तक होनी चाहिए।

यदि हम पौधों में कम फासला रखेंगे तो पौधे तक रोशनी पानी और पोषक तत्व ठीक से नहीं पहुंच पाएंगे और हमें ज्यादा छोटे साइज के आलू मिलेंगे, वहीं पर आप यदि पौधे से पौधे का फासला ज्यादा दूर कर देते हैं, तो वह भी ठीक नहीं है क्योंकि फिर प्रति हेक्टेयर पौधों की संख्या में कमी हो जाएगी ओर हमें कम मुनाफा प्राप्त होगा इसलिए हमें इस बात का ध्यान रखते हुए इन्हें संतुलित बनाए रखना है।

किन उर्वरकों का प्रयोग करे?

आलू की उन्नत खेती के लिए मुख्य उर्वरक नत्रजन, फास्फोरस, ओर पोटाश है। नत्रजन के उपयोग से पौधे की वृद्धि अच्छी होती है साथ ही आलू के आकार में भी वृद्धि होती है।

आलू के अच्छे आकार के साथ हैं उनकी संख्या भी ज्यादा होनी चाहिए तभी हमें ज्यादा मुनाफा होगा इसके लिए हम पोटाश उर्वरक का उपयोग करते हैं, जो कि पौधों को मजबूत और शक्तिशाली बनाता है, और रोगमुक्त रखता है जिससे कि पौधे की आरंभिक बढ़त अच्छी होती है और वह हमें अच्छे फल प्रदान करता है।

आलू की फसल में हमें प्रति हैक्टेयर 110 से 120 किलोग्राम नत्रजन और 80 से 90 किलोग्राम फास्फोरस तथा 80 किलोग्राम पोटाश डालने चाहिए।

जरूरी नहीं है कि आप इतनी ही मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें यह तो खेत की मिट्टी पर निर्भर करता है इसके लिए आप मिट्टी का परीक्षण अवश्य करवाएं।

बुवाई के समय हमें नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस पोटाश की पूरी मात्रा डालनी चाहिए और नत्रजन की शेष आधी मात्रा पौधे की लंबाई जब 15 से 20 सेंटीमीटर हो जाए तब पहली बार मिट्टी चढ़ाते समय देनी चाहिए।

सिंचाई किस प्रकार करें?

आलू की फसल में हमें कई बार सिंचाई करनी पड़ती है, लेकिन सिंचाई हल्की करें कहीं पर भी पानी भरा हुआ नहीं होना चाहिए। हमें पहले सिंचाई पौधों के उग जाने के बाद करनी चाहिए तथा दूसरी सिंचाई जब पौधे 15 दिन के हो जाएं ओर आलू बनने लगे तब करनी चाहिए।

हमें एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जब हमारा फल पूर्ण बढ़त पर हो ऐसे टाइम में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए यह पूरी फसल पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालती है, इससे फल के आकार में भी कमी हो सकती है।

इसलिए आप याद तो 10 से 12 दिन में सिंचाई करें और खेत की मिट्टी में नमी की मात्रा लगातार चेक करते रहें जब जरूरत हो तब सिंचाई करें।

खरपतवार की रोकथाम कैसे करें?

किसी भी फसल के लिए खरपतवार का होना बहुत ही बुरी बात होती है, इसलिए आप खरपतवार नियंत्रण पर ध्यान दें इसके लिए आप बुवाई के बाद 7 दिनों के अंदर 0.5 किलोग्राम सिमेजीन 50 WP या लिन्यूरोन (Linuron) का 700 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करा दे।

आलू की खुदाई कब करें?

आलू की खुदाई के लिए उचित समय का होना बहुत जरूरी है क्योंकि समय से पहले यदि हम आलू की खुदाई कर लेंगे तो नहीं हमें आलू का साइज ठीक मात्रा में प्राप्त होगा और पैदावार में भी कमी होगी।

आलू की खुदाई हमें जब करनी चाहिए जब आलू के ऊपर के छिलके सख्त हो जाए। पूर्णता पकी और अच्छी फसल से लगभग 280 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन प्राप्त होता है।

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